अर्थ : दूसरे के गुण में दोष निकालने की वृत्ति या मन की ऐसी वृत्ति जिससे दूसरों के दोष दिखाई देते हों और गुण, सुख आदि सहन न किये जा सकते हों।
उदाहरण :
असूया मनुष्य का अवगुण है।
अर्थ : चित्त का वह उग्र भाव जो कष्ट या हानि पहुँचाने वाले अथवा अनुचित काम करने वाले के प्रति होता है।
उदाहरण :
क्रोध से उन्मत्त व्यक्ति कुछ भी कर सकता है।
पर्यायवाची : अनखाहट, अमरख, अमर्ष, अमर्षण, आक्रोश, आमर्ष, कहर, कामानुज, कोप, क्रोध, क्षोभ, खुनस, खुन्नस, गजब, गज़ब, ग़ज़ब, गुस्सा, तमिस्र, ताम, दाप, मत्सर, रिस, रीस, रुष्टि, रोष, व्यारोष
अर्थ : साहित्य में एक प्रकार का संचारी भाव जिसमें किसी के सुख को न सहकर उसे हानि पहुँचाने का विचार आता है।
उदाहरण :
कवि की इन पंक्तियों में असूया की स्पष्ट झलक मिलती है।