अर्थ : भोगने अथवा काम में लाने योग्य।
उदाहरण :
एक ही वस्तु किसी एक के लिए भोग्य और दूसरे के लिए अभोग्य हो सकती है।
अर्थ : हिन्दू-शास्त्रों के अनुसार प्राणियों के द्वारा पूर्व जन्मों में किये हुए कार्य जिनके फल वह इस समय भोग रहा हो अथवा आगे चलकर भोगने को हो।
उदाहरण :
हमारा जन्म किस योनि में हो यह हमारे कर्म पर आधारित होता है।
पर्यायवाची : कर्म