अर्थ : वह सूद या ब्याज जिस पर भी ब्याज लगता है।
उदाहरण :
समय पर ब्याज न पटा पाने के कारण मुझे दो हज़ार चक्रवृद्धि ब्याज देना पड़ा।
पर्यायवाची : चक्रवृद्धि व्याज
अर्थ : ऋण देने का वह ढंग जिसमें मूल धन पर ब्याज देने के अतिरिक्त ब्याज पर भी ब्याज लगता है।
उदाहरण :
महाजन चक्रवृद्धि ब्याज पर ही ऋण देता है।
पर्यायवाची : चक्रवृद्धि व्याज, सूद-दर-सूद