अर्थ : भरताच्या नाट्यशास्त्रातील रसाच्या निष्पत्तीला आधारभूत मानलेल्या चित्तवृत्तींपैकी प्रत्येक.
उदाहरणे :
रति, हास, शोक, क्रोध, उत्साह, भय, जुगुप्सा आणि विस्मय असे सात स्थायीभाव भरताच्या नाट्यशास्त्रात सांगितले आहेत.
समानार्थी : स्थायी
इतर भाषांमध्ये अनुवाद :
साहित्य में, वे मूल तत्व जो मूलतः मनुष्यों के मन में प्रायः सदा निहित रहते हैं और कुछ विशिष्ट अवसरों पर अथवा कुछ विशिष्ट कारणों से स्पष्ट रूप से प्रकट होते हैं।
रति, हास्य, शोक, क्रोध, उत्साह, भय, जुगुप्सा, विस्मय आदि स्थायीभाव भरत के नाट्यशास्त्र में हैं।